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 हम सबके प्रिय 'नेता जी सुभाष चन्द्र बोस' जी ने 25 मार्च 1942 को 'बर्लिन' से 'आजाद हिंद रेडियो' के माध्यम से जनमानस को संबोधित करते हुए भारत विभाजन के लिए प्रयत्नशील अंग्रेजी षड्यंत्रों को ऐतिहासिक उदाहरण के साथ बताने का प्रयास किया था..... नेता जी ने बार-बार आने वाले संकट पर तत्तकालीन शीर्ष नेतृत्व को आगाह करने का प्रयास किया। उन्होंने अंग्रेजी षड्यंत्रों के प्रति जो चिंता जाहिर की थी, वह भविष्य में उसी रूप में हमारे सामने उपस्थित हुई और उसका परिणाम हमें भारत विभाजन के रूप में देखने को मिला......!  नेता जी ने रेडियो के माध्यम से जो संदेश दिया था.... उनमें से कुछ महत्वपूर्ण विषय जिन पर नेता जी ने विशेष ध्यानाकर्षण का प्रयास किया था,वह कुछ इस प्रकार हैं...... 1. "मैंने व्रिटिश सरकार के आफर तथा उस संबंध में क्रिप्स महोदय के भाषण का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया। उसके अध्ययन के उपरांत मुझे यह विश्वास हो गया कि क्रिप्स भारत में व्रिटिश साम्राज्यवाद की पुरानी नीति 'फूट डालो और शासन करो' को कार्यान्वित करने के लिए एक बार फिर प्रयत्न करने जा रहे हैं। भारत में ऐस...

इतिहास-वर्तमान और भविष्य

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इतिहास ......उन तमाम पक्षों से हम सबको अवगत कराने के लिए होता है जो पूर्व में घटित हुए .....उस वक्त से सीखने के लिए होता है जो निरंतर तीव्र गति से चलते समय के चक्र के आगोश में समाकर बीता हुआ कल बन चुका है...... इतिहास जीने के लिए नहीं होता है..... इतिहास सीखने के लिए होता है...... इतिहास में जीकर हम प्रगति की चेष्टा कर ही नहीं सकते.....सिवाय निरंतर पतन को आमंत्रित करने के..…. इतिहास गर्व करने का विषय अवश्य हो सकता है लेकिन उस गर्व के चक्कर में वहीं एक ही जगह स्थिर हो जाना इतिहास के साथ बिल्कुल भी न्याय नहीं हो सकता...... इतिहास के जिस घटना को हम मात्र गर्व करने मात्र की तारीख मान लेते हैं दरअसल वह तिथि/घटना असल में हमें नई चुनौतियां दे रही होती है ...... वर्तमान और भविष्य में उस गर्व करने वाली तिथि/घटनाओं से भी इतना अच्छा करने की....जिससे आने वाला कल आपके आज के कार्यों पर गर्व करे न कि वो भी आपकी /हमारी तरह उसी तिथि पर/इतिहास पर गर्व करता रहे जिस पर हम गर्व करते-करते काल के आगोश में समा गये....। हमें गुजरे हुए कल से सीख लेनी चाहिए..... वर्तमान में कदम बढ़ाना चाहिए..... लेकि...