कश्मीर में वर्तमान आतंकवाद की नींव
इस प्रकार भारत के खिलाफ 'आपरेशन टोपाक' नामक 'वार विद लो इंटेंसिटी की योजना बनाई गई। इसके तहत कश्मीर के लोगों के मन में अलगाव और भारत के प्रति नफ़रत के बीज बोने थे और फिर उन्ही के हाथों में हथियार थमाना था।
लेकिन यह आपरेशन भी अचानक इतने सफल तरीके से लांच नहीं हो सकता था, इसको समझने के लिए भी हमें 1988 के पहले भारत में घटित कुछ कुछ घटनाओं का अवलोकन करना होगा.....। अपने इन्ही उद्देश्यों में सफल होने के लिए पाकिस्तान ने भारत के पंजाब में आतंकवाद शुरू करने के लिए पाकिस्तानी पंजाब में सिखों को 'खालिस्तान' का सपना दिखाया और हथियारबद्ध सिखों का एक संगठन तैयार करने में मदद की। पाकिस्तान के इस खेल में भारत सरकार उलझती गयी। इसी क्रम में स्वर्ण मंदिर में हुए 'आपरेशन ब्लू स्टार' और उसके बदले के रूप में 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के उपरांत राजीव गांधी ने देश की बागडोर संभाली। इंदिरा गांधी के बाद भारत की राह बदल गयी। राजीव गांधी ने पूरी तरह ध्यान कश्मीर से हटाकर पंजाब और श्री लंका में लगा दिया। यह एक बड़ी चूक थी और अब अफगानिस्तान के अनुभव को भारत में प्रयोग करने का पाकिस्तान के पास यह सुअवसर था।इस प्रकार कश्मीर में आपरेशन टोपाक की पृष्ठभूमि तैयार होती है।
भारतीय राजनेताओं के ढुलमुल रवैये के चलते कश्मीर में 'ऑपरेशन टोपाक' बगैर किसी परेशानी के चलता रहा और धीरे-धीरे आतंकवादी चरित्र कश्मीर से बाहर लद्दाख और जम्मू में पांव पसारने लगा। इस बीच अनेकों दंगे हुए इसी क्रम में , चूंकि आपरेशन टोपाक का आधार कट्टरपंथ और कौमी नफरत पर आधारित था, इसीलिए इन आतंकी गतिविधियों में गैर - मुस्लिम भी निशाने पर थे और इसी का परिणाम था लगभग 7 लाख से अधिक कश्मीरी हिंदुओं का विस्थापित होना। इसी दौरान हजारों निरीह कश्मीरी हिंदुओं की नृशंस हत्या और कुकृत्य जैसे मामले हुए। इसका असर आज सिर्फ कश्मीर में ही नहीं संपूर्ण भारत में दिखाई पड़ता है।
कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा संचालित आपरेशन टोपाक' को अंजाम तक पहुंचाने में प्रयासरत प्रमुख आतंकवादी संगठन हैं.....
जे.के.एल.एफ
हिजबुल मुजाहिद्दीन
अल्लाह टाइगर्स
हरकत-उल-अंसार
लश्कर-ए-तोइबा
सिम्मी
अजुमन-ए-ख्वातीन
उल्फा ......आदि!
#शिवम_उपाध्याय
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