वर्तमान इतिहास के इतिहास में
वर्तमान भारतीय इतिहास के लेखन का शायद अपना एक अलग ही इतिहास रहा है.....जिसमें तमाम विकृतियों के साथ-साथ वर्तमान में उत्पन्न अनेकों समस्याओं का मूल भी समाहित है। व्यापक संस्कृति , बंधुत्व , राष्ट्रवाद जैसे तमाम पक्ष हैं जिन विषयों पर कहीं न कहीं भारतीय इतिहास की संरचना में अभाव देखने को मिलता है। इन महत्वपूर्ण विषयों जो राष्ट्रीय हितों से प्रमुखता से संबंधित हैं इनको देखने का प्रयास करें तो लगता है मानो कि इन पर प्रकाश न डालकर टाल-मटोल करने का प्रयास करके आगे बढ़ गये हों....इसके कारण अनेकों हो सकते हैं और देखा जाये तो उन कारणों के भी कुछ कारण हो सकते हैं....!
जब हम भारतीय इतिहास का गंभीरता से अध्ययन करते हैं तो भारतीय इतिहास में अधिकांश विरूपण ब्रिटिशों द्वारा किया गया था और स्वतंत्रता पश्चात् कम्युनिस्टों, वामपंथी बौद्धिक वर्ग, जो हमेशा से भारतीय राष्ट्रवाद, व्यापक संस्कृति के प्रति शत्रुतापूर्ण रहे हैं, वे भारतीयता के मूल्यों और हितों को नष्ट करने के लिए एक साथ चलते देखे जा सकते हैं।
भारतीय इतिहास के औपनिवेशिक संस्करण की प्रक्रिया को कम्युनिस्टों और वामपंथी विचारधारा से संबंधित लेखकों और विचारकों ने जारी रखा, जिसमें अनेकों कालों का तो उनकी अपनी आवश्यकता अनुसार कम या ज्यादा वर्णन किया ही गया, साथ ही साथ हमारे सामने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की भी एक चयनात्मक तस्वीर पेश की गयी।
स्वामी विवेकानंद' ने एक सदी पहले भारतीय इतिहास के विरूपण और गलत बयानों पर अपने विचार और चिंताओं को व्यक्त किया था:
“अंग्रेजी और पश्चिमी लेखकों द्वारा लिखे गए हमारे देश के विकृत इतिहास, हमारे विवेक और बुद्धिमत्ता को कमजोर नहीं कर सकते, क्या वे विदेशी जो केवल हमारे पतन की बात करते हैं , जो हमारे शिष्टाचार और रीति-रिवाजों, या धर्म और दर्शन के बहुत कम समझते हैं, भारत के वफादार और निष्पक्ष इतिहास लिख सकते हैं? स्वाभाविक रूप से, बहुत से गलत धारणाएं और गलत सम्बोधन उन्हें उनके रास्ते में मिल गए हैं।
फिर भी उन्होंने हमें दिखाया है कि कैसे हमारे प्राचीन इतिहास में शोध करने के लिए आगे बढ़ना है। अब यह हमारे लिए है कि हम खुद के लिए ऐतिहासिक अनुसंधान का एक स्वतंत्र मार्ग, वेद और पुराण, और भारत के प्राचीन इतिहास का अध्ययन करने के लिए, और उनसे अपने जीवन की साधना को सटीक और आत्मा को प्रेरणादायक इतिहास लिखने के लिए बनायें । यह भूमि भारतीयों को भारतीय इतिहास लिखने के लिए है। “
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